मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, August 18, 2010
कविता -मेरी प्यारी पत्नी ( MY LOVING WIFE)
पत्नी मेरी धर्म-कर्म में, साथ हमेशा मेरे॥ रूप रंग में अव्वल है वह, संग लिए हैं फेरे॥ तन मन की ताकत बन जाती, जब भी मैं घबराऊँ॥ दर्द अंग का हर लेती है,जब जब मैं थक जाऊँ॥ होम प्रबंधन के विषयों में, कई वर्ष का अनुभव॥ लालन पालन हो बच्चों का , बिन इसके क्या संभव॥ चाल है इसकी हिरनी जैसी, बोली मधुर सुहाती॥ कभी क्रोध वश नहीं चीखती, कभी नहीं चिल्लाती॥ नए जमाने के लोगों से, गिटपिट इग्लिश बोले॥ दादी अम्मा के संग बैठे, साँझ ढले वृत खोले॥ कहती है मैं मर जाऊंगी, अगर छोड़ के जाओ॥ जान तुम्हारी मैं ले लूँगी, दूजी को जो लाओ॥ लगते हैं उसको तो गुण में , सभी पड़ोसी अच्छे॥ फिर अकसर भोलेपन में वो, खा जाती है गच्चे॥ दिल में कोई बात न रखती ,नेक नियति वाली है॥ मेरी तो बस एक है बीबी, बाकी सब साली हैं॥ -- उदय भान कनपुरिया
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पत्नी= पत्+ नी= गिरने से बचाने वाली।(जैसे: पत् +ता)
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