मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Friday, August 20, 2010
बाल कविता- लेह में बादल फटा
भगवान हमें लेह जैसी दैवीय आपदाओं से बचाए और वहाँ के कष्ट जल्दी दूर हों। कृपया सभी देशवासी सहायता करें। दोहे - 1:बादल फटा लेह में, हुई जिंदगी चित्त।ईश्वर का परकोप यह, हम सब मात्र निमित्त॥ 2: प्रकृती से खिलवाड़ कर , तुम बनते बलवान। उसकी लाठी जब चले , बूझे न कोई नाम॥ 3: सभी जुटे धन धान्य संग, लेह बनावन लागि।का करि के तुम बैठी रहि, काहे न देत सहाई॥ - - उदय भान कनपुरिया
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आपके दोहे भाव प्रधान तो हैं परन्तु उनकी मात्रीय त्रुटियाँ दूर करने का प्रयास करें.
ReplyDeleteआपसे हमें काफी संभावनाएं हैं.
-विजय