मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Thursday, August 12, 2010
बाल कविता -कश्मीर समस्या
काश्मीर के दो टुकड़े हैं, एक पाक पे एक यहाँ। मुसलमान सब रहते उसमें, पंडित उनने दिए भगा। तीन सौ छप्पन धारा लाकर,काश्मीर को बड़ा किया। लोग वहाँ के देश विरोधी , स्वायत्ता पर जोर दिया। स्वर्ग वहीं है नर्क वहीं, ईश्वर ने वरदान दिया। आतंकी छाया में पलकर ,मानव ने बर्बाद किया। शान्ति प्रक्रिया कायम होकर , अमन चैन जब छाएगा। तभी वहाँ का हर इक बच्चा, अच्छा जीवन पाएगा। --उदय भान गुप्ता
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