मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Sunday, August 15, 2010
मंगल कामना( POEM- GOOD WISHES)
मिल रहे दो ह्रदय कोमल ,आज मंगल गीत गाओ। प्रभु कृपा से ही मिली है, यह सुघर जोड़ी सुहानी। हर अधर पर स्वयं मुखरित ,प्रति कि पावन कहानी। प्रीति अंकुर बीन के कवि, गीत कोई गुनगुनाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ तब दरश को तृषित थे दृग, टकटकी पथ पर लगाए।आगमन की आस में प्रिय , पलक पारंबर बिछाए। हो गए हैं धन्य लालन, नेह नित नूतन बड़ाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ जगत पति जगदीश मानो, स्वगत नगरी में पधारे। समर्पित मिथलेश सादर , हम सदा सेवक तुम्हारे। आप हम करके कृपा बस, अब हमें अपना बनाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ युग युगों के स्वप्न सचमुच, हो रहे साकार भाई। मेरे संबंधी सभी सज्जन , परस्पर दें बधाई। सुगम मालाऐँ गले में, झूलती झूले झुलाओ। आज मंगल गीत गाओ॥ धनीराम सुजान श्रीयुत, शिवरतन स्वामी हमारे। प्राप्त हो आनंद वैभव, शांति एवं सौख्य सारे। आज प्रभुदयाल प्रमुदित, स्वयं तन मन धन लुटाओ। आज मंगल गीत गाओ॥
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nice post.
ReplyDeleteइस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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