मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Monday, August 16, 2010
बाल कविता -गायत्री (POEM- GAYATRI)
वेदों ने इक छंद बताया,हम सब ने भी उसको गाया। गायत्री है नाम उसी का, छ: वर्णोँ में जिसको पाया। लिखा उसी में इक श्लोक ,जपते रहते जिसको लोग।खैर का पेड़ भी गायत्री के, नाम से जाना जाता है।कैथा जिससे बनता है, जो पान में खाया जाता है। मंत्र गायत्री सबसे पावन, पूर्ण कामना ;भर जाए दामन। उस ईश्वर ने हमें बनाया, हम सब उसकी ही हैं छाया। वो हम सब का पालन करता, सब दुखियोँ के दुख वह हरता। तेज उसी का चारों ओर, हर इक कण पर उसका जोर।तुझको हर पल भजते भगवन, मार्ग दिखा दो ;बन जाए जीवन। यही मंत्र का मतलब है, गायत्री क्या है? रब है। गायत्री सावित्री हैँ, गायत्री माँ दुर्गा हैं। जय माँ गायत्री--- उदय भान गुप्ता
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बहुत सुन्दर !
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