मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Monday, August 16, 2010
बाल कविता -रक्षा बंधन (POEM- RAKHI)
दोहा -रक्षा बंधन में जुड़े, दोनो बहना भाई। करेँ आरती देती रुचना, राखी संग मिठाई॥ राम कृष्ण के देश में, कैसा भइया प्रेम। बहनोँ के आशीष पा, यूवक जीतेँ देश॥ आज कल की औरतें, आंटी से चिढ जाऐँ।बुढियोँ से दीदी कहो,तब तुमसे बतियाऐँ॥ --उदय भान गुप्ता
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