मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Thursday, August 12, 2010
बाल कविता -स्वतंत्रता दिवस-15 अगस्त
स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता दिवस पे हम, ये जान लो । देश -आन को हि अपनी आन,लोगों मान लो। देश की प्रगति के बिन, हमारी कुछ वकत नहीं। देश पहले है तभी तो हम हैं, वर्ना हम नहीं। कर्म की महानता हि, धर्म को करे बड़ा। देश की विशालता हि, क्रांति को करे खड़ा। सबसे पहले शांति हो, अमन भी हो; ओ चैन भी। सबके बाजुओँ का दम लगे तो,भागे रैन भी। हम तो देश पुत्र हैं, ओ धरती के सुपुत्र भी। युद्ध में जो डट खड़े हों,भाग जाए शत्रु भी। -उदय भान गुप्ता
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very nice poem
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