मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, August 11, 2010
बाल कविता- बाढ़
रिमझिम रिमझिम बरस रहा है, आसमान से पानी। छाता लेकर गई मार्केट, मैं और मेरी नानी। अगले दिन रस्तोँ पे पानी, घर बाहर में पानी। स्कूलों में छुट्टी हो गई, आफिस में मनमानी। दिन दस बीते; हाल था नाजुक, छत पर सब चढ़ बैठे। नाँव बन गई कई घरों में, परेशान सब जेठे। सेना ने राशन बरसाया, कई बचाई जानें।राजनीति अब तेज हो गई, नेता लगे कमाने। इसके बाद गाँव मेँ मेरे, कभी बाढ़ जो आई। तुमसे मेरे किशन कन्हैया होगी खूब लड़ाई। --उदय भान गुप्ता
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