मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Friday, August 20, 2010
बाल कविता- गरीबी/ POEM-POVERTY
जनता :-D -आज खुशी का दिवस हमारा, हमने दस फुट रावण मारा। गरीबी :-) -सभी लपेटो इसकी बातें, भाँग आ गया धर से खाके। रावण तेरे खड़ा सामने, लेकर तेरी सीता रानी। हिम्मत हो तो ,हाथ थाम ले। राम ;-) ठैर रे सीते ! कर मत चिंता, देख इसे मैं कैसे धुनता। सूत्रधार :-) आज अमीरी रूपी रावण, बड़े बड़े जबड़ोँ को बाकर। खड़ा हुआ है खाने को, भूखी नंगी सीता को। यहाँ हजारों ऐसी सीता,मगर एक रावण की दासी। आज जरूरत कई राम की, सीता जिनकी बने राजश्री। करें राम जब रावण अंत, तभी बनेगा देश स्वतंत्र॥ - - उदय भान कनपुरिया
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