मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Tuesday, August 17, 2010
बाल कविता- मेरे मम्मी पापा(POEM-MY PARENTS)
पापा मेरे तोँदूमल हैं, मम्मी है फूलों की बेल । पापा मेरे बिलकुल बुद्धू ,मम्मी है नाँलेज की रेल। पापा मेरे बड़े भुलक्कड़ ,मम्मी को सब याद रहे।पापा का बटुआ है खाली, माँ का धर आबाद रहे। पर मेरे पापा हैं सीधे , मुझको हरदम भाते हैं। मेला मुझको ले जाते हैं, झूले पर झुलवाते हैं॥ --उदय भान गुप्ता
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पक्का, मम्मी से लिखवाई है कविता किसी बच्चे ने..हा हा!!
ReplyDeleteएक निवेदन:
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.