मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Saturday, September 11, 2010
सतसंग
हे भगवन सब सतसंगी हों , जीवन में सब धर्म वृती हों ॥ हो ज्ञानी या हो अज्ञानी , प्रभु चरणों में सभी रती हों ॥ राम नाम का मरम बड़ा है , कृष्ण कन्हइया यहीं खड़ा है ॥ बंद पलक से उसको देखूं , हम सबमेँ तो वही बड़ा है ॥ - - उदय भान कनपुरिया
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