मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, September 29, 2010
अयोध्या पर फैसला
पहले लोग संस्कृत बोलेँ , अब बोलेँ हैं हिंदी ॥ पहले जो साड़ी पहनें थे , अब पहनें हैं मिँनी ॥ तो फिर हिंदू मुस्लिम दोनोँ , क्यों लड़ते हैं भाई ॥ जब कुछ भी तो फिक्स नहीं है , सब बदलेगा सांई ॥ एक घाट में कई हैं जलते , एक कब्र में कई दफनते ॥ यह धरती हम सब की माता , क्यों भाई को भाई खलते ॥ समय समय पर भेष बदलते , समय समय पर बोली ॥ फिर भी इंसानों की जातेँ , खेलें खूनी होली ॥ राम कहें या कहें रहीमा , दोनों हैं ईश्वर के नाम ॥ टुकड़ों को लड़ते हो पागल , हर कण में उसका है धाम ॥ कर्म करो मत करो लड़ाई , भजते जाओ जय श्री राम ॥ हर दिल में बसते हैं प्रभु जी, जब लेते हैं उनका नाम ॥ जय श्री राम . . . - -उदय भान कनपुरिया
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