Thursday, December 23, 2010

भ्रष्टाचार

आम आदमी मंहगाई की , मार झेलता जाए ॥ मौसम आए या न आए , रेट तो बढ़ता जाए ॥ राजनीति सब्जी पर होती ॥ राशन - भ्रष्टाचार ॥ इतना पैसा कमा के सोना , हीरे जड़ी मज़ार ॥ इस पैसे से क्या कर लोगे , क्या पा लोगे इस जीवन में ॥ साथ नहीं जाता है कुछ भी , जब जाना हो उसके घर में ॥ काम क्रोध माया सब झूठी , काम नहीं कुछ आना ॥ बाँध पुटरिया सत कर्मों की , पार तुम्हें है जाना ॥ मत कर भ्रष्टाचार रे बंधु , मत कर भ्रष्टाचार ॥ झूठा यह संसार है प्यारे , सच्चा पालनहार ॥ - - - उदय भान कनपुरिया

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