Wednesday, December 29, 2010

कंबल

ठंड लग रही कंबल दे दो लाल हो चाहे नीला ॥ पर इतना तो ध्यान रहे की हो न बिलकुल गीला ॥ नेता ने कंबल लुटवाए बड़े बड़ों ने लूटे ॥ उन लोगों को न मिल पाए जिनके करम थे फूटे ॥ फुटपाथोँ पर बिन कंबल के कई स्वर्ग को तारे ॥ बाँटो कंबल मर जाएँगे कंबल बिना बेचारे ॥ - - - उदय भान कनपुरिया

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