मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, October 13, 2010
माँ दुर्गा
मैंने दुर्गा जी को देखा । देखा उनका रूप महान ॥ बड़ी बड़ी आखेँ भी देखी । देखी चेहरे पर मुस्कान ॥ मुकुट स्वर्ण का शीश सुशोभित । हाथों में उनके त्रिशूल ॥ महिषासुर का वध कर डाला । शक करना बिलकुल निर्मूल ॥ दुर्गा हैं शक्ति की देवी । दुर्गा धन और धान्य स्वरूप ॥ दुर्गा हैं देवोँ की देवी । दुर्गा आनंदी फल रूप ॥ ॐ श्री दुर्गाय नम: ॥ ॐ ........... ॥ - उदय भान कनपुरिया
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उदय जी
ReplyDeleteपावन भावना है.
- विजय
http://www.hindisahityasangam.blogspot.com/
very good
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