मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, October 27, 2010
बाल कविता- मेरी मम्मी
मुझे मम्मी के हाथों की रोटी पसंद ॥ मुझे मम्मी के हाथों का स्वेटर पसंद ॥ मुझे मम्मी के गाए भजन भाते हैं ॥ मुझे मम्मी के लाए ही ड्रेस भाते हैं ॥ मेरी मम्मी ही हम सब के कपड़े सिलेँ ॥ मेरी मम्मी ही हम सब से भेँटे मिलेँ ॥ मेरे भगवन मेरी तुमसे विनती यही ॥ मेरी मम्मी को कुछ भी सतावे नहीं ॥ मेरी मम्मी की तबीयत बनाए रखना ॥ मेरी मम्मी को हरदम हँसाऐ रखना ॥ - - - - उदय भान कनपुरिया
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