मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Monday, October 25, 2010
बाल कविता - दीपावली
दीपावली महोत्सव आया , लाया खुशियाँ प्यारी ॥ आँगन हर इक दीप जलेंगे ,पुलकित हैं नर - नारी ॥ लक्ष्मी माँ की पूजा होगी , गट्टे - खील चढ़ाऐँगे ॥ जब गणेश की पूजा होगी , लड्डू भोग लगाऐँगे ॥ बिजली की झालर से सारे , घर को हम ढक देते हैं ॥ रंग , पुताई , पेँट , सफाई ,सभी लोग कर लेते हैं। हाथी , घोड़े , बैल- खिलौने , चीनी के बनवाते हैं ॥ चूड़ा - लइया संग मिठाई , बच्चे खुशी से खाते हैं ॥ अपने घर से खील - मिठाई , दूजे घर भिजवाई ॥ दीवाली में सब कहते हैं , हम सब भाई - भाई ॥ राम चंद्र की बनी अयोध्या , दीवाली थी तभी मनी । इस दिन जो लक्ष्मी को पूजे , हो जाता है वही धनी ॥ - -- - उदय भान कनपुरिया
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