मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, October 13, 2010
दशहरा
मम्मी आज दशहरा मेला । मैं तो देखन जाऊंगी ॥ कंधे पर पापा के बैठी । रावण को जलवाऊँगी ॥ मूँगफली खीलेँ और गट्टा । मेले मे मैं खाऊँगी ॥ गुड्डा, गुड़िया , बर्तन , चूड़ी , खूब खिलौने लाऊँगी ॥ मम्मी आज ............॥ अबकी लँहगा चुनरी लूँगी । लाल दुपट्टा ओढूँगी ॥ धनुष बाँण ले के मेले से । दुष्टोँ को न छोडूँगी ॥ मम्मी आज ..............॥ - - - - उदय भान कनपुरिया
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