Wednesday, October 13, 2010

दशहरा

मम्मी आज दशहरा मेला । मैं तो देखन जाऊंगी ॥ कंधे पर पापा के बैठी । रावण को जलवाऊँगी ॥ मूँगफली खीलेँ और गट्टा । मेले मे मैं खाऊँगी ॥ गुड्डा, गुड़िया , बर्तन , चूड़ी , खूब खिलौने लाऊँगी ॥ मम्मी आज ............॥ अबकी लँहगा चुनरी लूँगी । लाल दुपट्टा ओढूँगी ॥ धनुष बाँण ले के मेले से । दुष्टोँ को न छोडूँगी ॥ मम्मी आज ..............॥ - - - - उदय भान कनपुरिया

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