Wednesday, December 29, 2010

धूप और छाँव

इस ठंडी में क्या देखी है ?
तुमने प्यारी धूप और छाँव ॥
जिस सूरज से जलता था तन ,
गरमी में जलते थे पाँव ॥
जला अलाव तापते जन - जन ,
सुबह शाम हर गाँव - गाँव ॥
राम हमारे तुम्ही खेवइया ,
बीच भँवर है अपनी नाव ॥
छाँव कभी बारिश से चाहें ,
कभी चाहिए सूरज से ॥
छाँव माँ के आँचल की चाहें ,
छाँव प्रभु की कृपा से ॥
धूप और छाँव नहीं कुछ दूजे ,
सुख और दुख की कापी हैँ ॥
कभी धूप अच्छी लगती है ,
कभी निगोड़ी पापी है ॥
परिवर्तन ही जीवन है ,
इक रूप रहा न जाए अब ॥
धूप छाँव के इस बंधन से ,
प्रभु मुझको मुक्त करोगे कब ॥ - - -उदय भान कनपुरिया

अंतर्मन

अंतर्मन मेरी सुन ले बातें , कटती हैं तनहा क्यों रातेँ ॥ चाँद मुझे विरहा देता है , सर्दी में मारे है लातेँ ॥ मन चंचल है इत -उत देखे ,पता न उसका पाए ॥ जब बैठूँ मैं गुम - सुम होके , गुस्सा मुझ पर खाए ॥ मन की बातें मन ही जाने , मैं तो इतना जानूँ ॥ मेरा सब कुछ तुझ पर वारूँ , तुझको अपना मानूँ ॥ तुम्हारा प्रेमी - - - उदय भान कनपुरिया

New year 2011

I am happy . full of whims .| It is so sun shine , not so dim .| Love is everywhere , love in my heart . | I am in pell - mell to choose new shirt .| You are my chum . You have no fear .| Be with me, in this new year .| -HAPPY NEW YEAR 2011 _ _ _ UDAY BHAN

नया साल 2011 और मँहगाई

सबसे पहले आप सभी को नए साल की हार्दिक बधाइयाँ । बीते वर्ष दूध , प्याज , टमाटर , दालें , पेट्रोल इत्यादि के दामों को हमने रातों - रात बढ़ते देखा है । 15- 20 दिनों बाद इन दामों पर सरकार का नियंत्रण हो जाता है । और इस बीच मुनाफाखोर करोड़ से अरबपति बन जाते है । 2011 में मेरा सरकार और मुनाफाखोरोँ की मंडली से प्रश्न है - 1-' कौन बनेगा करोड़पति ? ' , 2- ' कौन बनेगा अरबपति ? ' मेरे पिता जी का कहना है कि ' जिस घर में परिवार का सदस्य ही चोर हो उस घर को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता । ' हमारे देश का वही हाल होने वाला है । मेरे देश के चोरोँ !/ भ्रष्टाचारियों ! 2011 में गंगा नहाओ , सुधर जाओ । - आपका अपना भारतवासी - - ' उदय भान कनपुरिया '।

कंबल

ठंड लग रही कंबल दे दो लाल हो चाहे नीला ॥ पर इतना तो ध्यान रहे की हो न बिलकुल गीला ॥ नेता ने कंबल लुटवाए बड़े बड़ों ने लूटे ॥ उन लोगों को न मिल पाए जिनके करम थे फूटे ॥ फुटपाथोँ पर बिन कंबल के कई स्वर्ग को तारे ॥ बाँटो कंबल मर जाएँगे कंबल बिना बेचारे ॥ - - - उदय भान कनपुरिया

Friday, December 24, 2010

नया साल 2011

नए साल पर तुम्हें मुबारक ॥ हर इक अच्छी बात ॥ तुम हो मेरी मैं हूँ तेरा ॥ अपनी है हर रात ॥ चाँद तुम्हें अपनी कर लेगा ॥ घर में रहना छुपकर ॥ सुंदर महिला जल जाएँगी ॥ दिखेँगी मुड़ - मुड़ कर ॥ तुम हो प्यारी तुम हो सच्ची ॥ नया साल कहता है ॥ कभी कभी मस्ती कर लेना ॥ भी अच्छा रहता है ॥ happy new year 2011. - - - uday bhan knpuriya

Thursday, December 23, 2010

भ्रष्टाचार

आम आदमी मंहगाई की , मार झेलता जाए ॥ मौसम आए या न आए , रेट तो बढ़ता जाए ॥ राजनीति सब्जी पर होती ॥ राशन - भ्रष्टाचार ॥ इतना पैसा कमा के सोना , हीरे जड़ी मज़ार ॥ इस पैसे से क्या कर लोगे , क्या पा लोगे इस जीवन में ॥ साथ नहीं जाता है कुछ भी , जब जाना हो उसके घर में ॥ काम क्रोध माया सब झूठी , काम नहीं कुछ आना ॥ बाँध पुटरिया सत कर्मों की , पार तुम्हें है जाना ॥ मत कर भ्रष्टाचार रे बंधु , मत कर भ्रष्टाचार ॥ झूठा यह संसार है प्यारे , सच्चा पालनहार ॥ - - - उदय भान कनपुरिया