i wish a happy and peaceful new year2012 to all of you.this year will show this world the power of SATYAGRAH,the power of LOK TANTRA,and the power of common man.not like other nation who take out the blood of human breed,to fulfill there own motive.we are thankful to then mahatma Gandhi and today ANNA HAZARE.they are the master of humanity.salute to the mother land who is giving birth to such a great personality.we all INDIANS living in heaven.only few culprits are defaming our nation. Corruption is the main cause of irregularity's.first remove it from the mind of natives.teach them that it is wrong,then punish them for there ill behavior.i personally request to all the political party s that kindly bring a strong lokpal to improve the corrupt mentality of Indian officials.
your uday bhan kanpuriya
मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Saturday, December 31, 2011
Sunday, September 25, 2011
अन्ना बनाम भ्रष्टाचार
अन्ना अपने आप को ,
मत समझौ असहाय ।
हम सब तुम्हरे साथ हैं ,
जो आए सो आय ॥
जो आए सो आय ,
तुम्हारे साथ सभी हैं ॥
भ्रष्टाचार रोज का देखे ,
देश दुखी है ॥
लोक पाल जन जन का होगा ,
न्याय बाँटता हर इक पन्ना ॥
सदियों तक सब कथा कहेंगे ,
भारत में होता था अन्ना ॥ - - - - उदय भान कनपुरिया
मत समझौ असहाय ।
हम सब तुम्हरे साथ हैं ,
जो आए सो आय ॥
जो आए सो आय ,
तुम्हारे साथ सभी हैं ॥
भ्रष्टाचार रोज का देखे ,
देश दुखी है ॥
लोक पाल जन जन का होगा ,
न्याय बाँटता हर इक पन्ना ॥
सदियों तक सब कथा कहेंगे ,
भारत में होता था अन्ना ॥ - - - - उदय भान कनपुरिया
जन लोकपाल और अन्ना
राजनीति की गंदा सा चेहरा दिखा ॥
आपको आपकी असलियत से मिला ॥
अन्ना के नाम की एक अंगार है ॥
वो जला देगा जिस पर भी कस कर गिरा ॥
भ्रष्टाचारी संभल जाएँ इस देश के ॥
और सोते से जग जाएँ जो हैं पड़े ॥
न उठाएँगे तलवार न गोलियाँ ॥
सब कहेंगे मैं अन्ना - मैं अन्ना यहाँ ॥
अन्ना बूढ़ा है या फिर सिपाही जवान ॥
माँग लो माँफी अन्ना से दे देगा दान ॥
देश पीछे है उसके या वो देश के ॥
एक कानून तगड़ा बनाना पड़ा ॥
काला धन काला पैसा सभी देश का ॥
देश के दुश्मनोँ की तिजोरी में था ॥
केजरीवाल , भूषण , किरण संग हैं ॥
देश आजादी की इक लड़ाई लड़ा ॥ -- उदय भान कनपुरिया
आपको आपकी असलियत से मिला ॥
अन्ना के नाम की एक अंगार है ॥
वो जला देगा जिस पर भी कस कर गिरा ॥
भ्रष्टाचारी संभल जाएँ इस देश के ॥
और सोते से जग जाएँ जो हैं पड़े ॥
न उठाएँगे तलवार न गोलियाँ ॥
सब कहेंगे मैं अन्ना - मैं अन्ना यहाँ ॥
अन्ना बूढ़ा है या फिर सिपाही जवान ॥
माँग लो माँफी अन्ना से दे देगा दान ॥
देश पीछे है उसके या वो देश के ॥
एक कानून तगड़ा बनाना पड़ा ॥
काला धन काला पैसा सभी देश का ॥
देश के दुश्मनोँ की तिजोरी में था ॥
केजरीवाल , भूषण , किरण संग हैं ॥
देश आजादी की इक लड़ाई लड़ा ॥ -- उदय भान कनपुरिया
सुंदरता
काढ़ घूँघट बड़ा सा वो निकले हैं यूँ ।
सोचते हैं कि BEAUTY छुपा लेंगे वो ॥
कोई उनको बताए कि हम कौन हैं ?
हुस्न आबो हवा से चुरा लेंगे जो ॥- - उदय भान कनपुरिया
सोचते हैं कि BEAUTY छुपा लेंगे वो ॥
कोई उनको बताए कि हम कौन हैं ?
हुस्न आबो हवा से चुरा लेंगे जो ॥- - उदय भान कनपुरिया
मेरे महबूब
सितारों सजी रात मेहमान है ।
कोइ मेरे महबूब को भेज दो ॥
वो मेरी मैं उसका बनूँगा अभी ।
ये माँ- बाप को भी खबर भेज दो ॥- - उदय भान कनपुरिया
कोइ मेरे महबूब को भेज दो ॥
वो मेरी मैं उसका बनूँगा अभी ।
ये माँ- बाप को भी खबर भेज दो ॥- - उदय भान कनपुरिया
परदा नशीँ
रोज घर के झरोँखोँ से झाँका किए ।
हमको घायल किए है गुलाबी बदन ॥
अब के परदा नशीँ PLEASE परदा हटा ।
और होने दे चश्मे चिरागे नयन ॥- उदय भान कनपुरिया
हमको घायल किए है गुलाबी बदन ॥
अब के परदा नशीँ PLEASE परदा हटा ।
और होने दे चश्मे चिरागे नयन ॥- उदय भान कनपुरिया
मेरा चाँद
लाल जोड़े में सज के वो चल दें जिधर I
फूल लाखों बिछा दूँ उसी राह पर ॥
पूछूँ चंदा से अब उसका क्या काम है ?
खुद मेरा चाँद आया जमी पर उतर ॥- उदय भान कनपुरिया
फूल लाखों बिछा दूँ उसी राह पर ॥
पूछूँ चंदा से अब उसका क्या काम है ?
खुद मेरा चाँद आया जमी पर उतर ॥- उदय भान कनपुरिया
शिकवा शिकायत
जब भी शिकवे शिकायत से मन न भरा ।
वो फुला को यूँ बैठे हैं चेहरा कहीं ?
कोई पूछे जरा जाके उनसे फकत् ।
क्यों न वो ही सिखा दें हमें शादगी ॥ - uday bhan gupta उदय भान कनपुरिया
वो फुला को यूँ बैठे हैं चेहरा कहीं ?
कोई पूछे जरा जाके उनसे फकत् ।
क्यों न वो ही सिखा दें हमें शादगी ॥ - uday bhan gupta उदय भान कनपुरिया
बेवफाई
प्यार में कसमेँ खाने से क्या फायदा ।
जब भी आएगा मौका दगा दोगे तुम ॥
तुमने दिल में हमारे क्यों घर कर लिया ?
जब हमीँ न रहेंगे ,कहाँ होगे तुम ? - उदय भान कनपुरिया
जब भी आएगा मौका दगा दोगे तुम ॥
तुमने दिल में हमारे क्यों घर कर लिया ?
जब हमीँ न रहेंगे ,कहाँ होगे तुम ? - उदय भान कनपुरिया
धोखा
एक हल्का सा ठुमका उधर से लगा ॥
हाय दिल भी गया और जाँ भी गई ॥
फैसला उनकी नजरे इनायत पे है ॥
शुक्र होगा जो शर्मो - हया बच गई ॥ - उदय भान कनपुरिया
हाय दिल भी गया और जाँ भी गई ॥
फैसला उनकी नजरे इनायत पे है ॥
शुक्र होगा जो शर्मो - हया बच गई ॥ - उदय भान कनपुरिया
Tuesday, June 7, 2011
पतंजली योग पीठ और कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी झूठी है असत्य उसका आधार है ।आज देश सत्य के साथ है । 4 जून को देश भर ने कांग्रेस का गंदा चेहरा देख लिया है । पुरा देश बाबा राम देव के साथ है ।
Saturday, June 4, 2011
भ्रष्टाचारी कांग्रेस और दिग्विजय सिंह के कुकृत्य
रामलीला मैदान में मानवाधिकारों का हनन करके कांग्रेस ने अपनी गंदी मनसा दिखा दी है । राम देव बाबा के आंदोलन का दमन मानवता का दमन है। कांग्रेस का देश से सफाया निश्चित है । बाबा ! पुरा देश आपके साथ है । भारत माता की जय ।
Friday, June 3, 2011
शोभा डे और बाबा राम देव
शोभा जी ने बाबा के सत्याग्रह को नौटंकी का नाम दिया है । वे स्वयं के अंदर झाँक कर देखें । क्या उन्हें बोलने की तमीज है । शोभा जी अपने जीवन में देश के लिए कोई बड़ा काम तो आप कर नहीं सकतीं । कृपया करके बाबा राम देव जैसे महान लोगों की इज्जत तो करना सीख लीजिए ।
सानिया
आप भारतीय हो या पाकिस्तानी । आपकी जीत का शेहरा किसके सिर आएगा । पाकिस्तानीयों ने आपको स्वीकारा नहीं है और भारतीयों से आप पीछा छुड़ाना चाहती हो ।
Sunday, February 13, 2011
फूल
हर पौधे की शोभा फूल ,
करता सबके दिल को कूल ॥
लाल गुलाबी सतरंगी बन ,
मिटा रहा है दिल के शूल ॥
इसको अपनी बगिया प्यारी ,
प्यारा है अपना माहौल ॥
जाति धर्म से क्या लेना है ,
धरती माता इसका मूल ॥
इसीलिए तो सबका प्यारा ,
राज- दुलारा अपना फूल ॥
क्या हम दे सकते है जैसी ,
खुशियाँ देता हर -पल फूल ॥ - - - उदय भान कनपुरिया
करता सबके दिल को कूल ॥
लाल गुलाबी सतरंगी बन ,
मिटा रहा है दिल के शूल ॥
इसको अपनी बगिया प्यारी ,
प्यारा है अपना माहौल ॥
जाति धर्म से क्या लेना है ,
धरती माता इसका मूल ॥
इसीलिए तो सबका प्यारा ,
राज- दुलारा अपना फूल ॥
क्या हम दे सकते है जैसी ,
खुशियाँ देता हर -पल फूल ॥ - - - उदय भान कनपुरिया
Tuesday, January 25, 2011
कविता 26 जनवरी 2011
फूलों की धरती ,
ये कलियों की धरती ॥
ये मेरी हसीना ,
हसीनोँ की धरती ॥
लहू दुश्मनोँ का ,
इसी को चढ़ा दें ॥
पसीना -किसानों का ,
सीँचे वो धरती ॥ - उदय भान कनपुरिया
ये कलियों की धरती ॥
ये मेरी हसीना ,
हसीनोँ की धरती ॥
लहू दुश्मनोँ का ,
इसी को चढ़ा दें ॥
पसीना -किसानों का ,
सीँचे वो धरती ॥ - उदय भान कनपुरिया
कविता 26 जनवरी 2011
गली बेँच देंगे ।
सड़क बेँच देंगे ॥
ये पेड़ों के जड़ की ,
पकड़ बेँच देंगे ॥
वतन के सिपाही अगर सो गए तो ॥
ये नेता धरा की अकड़ बेँच देंगे ॥ - उदय
सड़क बेँच देंगे ॥
ये पेड़ों के जड़ की ,
पकड़ बेँच देंगे ॥
वतन के सिपाही अगर सो गए तो ॥
ये नेता धरा की अकड़ बेँच देंगे ॥ - उदय
कविता 26 जनवरी 2011
गली बेँच देंगे । सड़क बेँच देंगे ॥ ये पेड़ों के जड़ की , पकड़ बेँच देंगे ॥ वतन के सिपाही अगर सो गए तो ॥ ये नेता धरा की अकड़ बेँच देंगे ॥
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