हर पौधे की शोभा फूल ,
करता सबके दिल को कूल ॥
लाल गुलाबी सतरंगी बन ,
मिटा रहा है दिल के शूल ॥
इसको अपनी बगिया प्यारी ,
प्यारा है अपना माहौल ॥
जाति धर्म से क्या लेना है ,
धरती माता इसका मूल ॥
इसीलिए तो सबका प्यारा ,
राज- दुलारा अपना फूल ॥
क्या हम दे सकते है जैसी ,
खुशियाँ देता हर -पल फूल ॥ - - - उदय भान कनपुरिया
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