मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Sunday, September 25, 2011
मेरा चाँद
लाल जोड़े में सज के वो चल दें जिधर I फूल लाखों बिछा दूँ उसी राह पर ॥ पूछूँ चंदा से अब उसका क्या काम है ? खुद मेरा चाँद आया जमी पर उतर ॥- उदय भान कनपुरिया
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