मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Sunday, November 14, 2010
बाल कविता - तबीयत
हुजूर का मिजाज उनकी तबीयत से है ॥ इंसान की बरक्कत उसकी नियत से है ॥अच्छा खाओ तो तबीयत चंगी ॥ सोच हो बढ़िया तो हकीकत नंगी ॥ एक दूसरे की तबीयत बनाए रखना ॥ दिलों को दिलों से मिलाऐ रखना ॥ - - - उदय भान कनपुरिया
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