अन्ना अपने आप को ,
मत समझौ असहाय ।
हम सब तुम्हरे साथ हैं ,
जो आए सो आय ॥
जो आए सो आय ,
तुम्हारे साथ सभी हैं ॥
भ्रष्टाचार रोज का देखे ,
देश दुखी है ॥
लोक पाल जन जन का होगा ,
न्याय बाँटता हर इक पन्ना ॥
सदियों तक सब कथा कहेंगे ,
भारत में होता था अन्ना ॥ - - - - उदय भान कनपुरिया
मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Sunday, September 25, 2011
जन लोकपाल और अन्ना
राजनीति की गंदा सा चेहरा दिखा ॥
आपको आपकी असलियत से मिला ॥
अन्ना के नाम की एक अंगार है ॥
वो जला देगा जिस पर भी कस कर गिरा ॥
भ्रष्टाचारी संभल जाएँ इस देश के ॥
और सोते से जग जाएँ जो हैं पड़े ॥
न उठाएँगे तलवार न गोलियाँ ॥
सब कहेंगे मैं अन्ना - मैं अन्ना यहाँ ॥
अन्ना बूढ़ा है या फिर सिपाही जवान ॥
माँग लो माँफी अन्ना से दे देगा दान ॥
देश पीछे है उसके या वो देश के ॥
एक कानून तगड़ा बनाना पड़ा ॥
काला धन काला पैसा सभी देश का ॥
देश के दुश्मनोँ की तिजोरी में था ॥
केजरीवाल , भूषण , किरण संग हैं ॥
देश आजादी की इक लड़ाई लड़ा ॥ -- उदय भान कनपुरिया
आपको आपकी असलियत से मिला ॥
अन्ना के नाम की एक अंगार है ॥
वो जला देगा जिस पर भी कस कर गिरा ॥
भ्रष्टाचारी संभल जाएँ इस देश के ॥
और सोते से जग जाएँ जो हैं पड़े ॥
न उठाएँगे तलवार न गोलियाँ ॥
सब कहेंगे मैं अन्ना - मैं अन्ना यहाँ ॥
अन्ना बूढ़ा है या फिर सिपाही जवान ॥
माँग लो माँफी अन्ना से दे देगा दान ॥
देश पीछे है उसके या वो देश के ॥
एक कानून तगड़ा बनाना पड़ा ॥
काला धन काला पैसा सभी देश का ॥
देश के दुश्मनोँ की तिजोरी में था ॥
केजरीवाल , भूषण , किरण संग हैं ॥
देश आजादी की इक लड़ाई लड़ा ॥ -- उदय भान कनपुरिया
सुंदरता
काढ़ घूँघट बड़ा सा वो निकले हैं यूँ ।
सोचते हैं कि BEAUTY छुपा लेंगे वो ॥
कोई उनको बताए कि हम कौन हैं ?
हुस्न आबो हवा से चुरा लेंगे जो ॥- - उदय भान कनपुरिया
सोचते हैं कि BEAUTY छुपा लेंगे वो ॥
कोई उनको बताए कि हम कौन हैं ?
हुस्न आबो हवा से चुरा लेंगे जो ॥- - उदय भान कनपुरिया
मेरे महबूब
सितारों सजी रात मेहमान है ।
कोइ मेरे महबूब को भेज दो ॥
वो मेरी मैं उसका बनूँगा अभी ।
ये माँ- बाप को भी खबर भेज दो ॥- - उदय भान कनपुरिया
कोइ मेरे महबूब को भेज दो ॥
वो मेरी मैं उसका बनूँगा अभी ।
ये माँ- बाप को भी खबर भेज दो ॥- - उदय भान कनपुरिया
परदा नशीँ
रोज घर के झरोँखोँ से झाँका किए ।
हमको घायल किए है गुलाबी बदन ॥
अब के परदा नशीँ PLEASE परदा हटा ।
और होने दे चश्मे चिरागे नयन ॥- उदय भान कनपुरिया
हमको घायल किए है गुलाबी बदन ॥
अब के परदा नशीँ PLEASE परदा हटा ।
और होने दे चश्मे चिरागे नयन ॥- उदय भान कनपुरिया
मेरा चाँद
लाल जोड़े में सज के वो चल दें जिधर I
फूल लाखों बिछा दूँ उसी राह पर ॥
पूछूँ चंदा से अब उसका क्या काम है ?
खुद मेरा चाँद आया जमी पर उतर ॥- उदय भान कनपुरिया
फूल लाखों बिछा दूँ उसी राह पर ॥
पूछूँ चंदा से अब उसका क्या काम है ?
खुद मेरा चाँद आया जमी पर उतर ॥- उदय भान कनपुरिया
शिकवा शिकायत
जब भी शिकवे शिकायत से मन न भरा ।
वो फुला को यूँ बैठे हैं चेहरा कहीं ?
कोई पूछे जरा जाके उनसे फकत् ।
क्यों न वो ही सिखा दें हमें शादगी ॥ - uday bhan gupta उदय भान कनपुरिया
वो फुला को यूँ बैठे हैं चेहरा कहीं ?
कोई पूछे जरा जाके उनसे फकत् ।
क्यों न वो ही सिखा दें हमें शादगी ॥ - uday bhan gupta उदय भान कनपुरिया
बेवफाई
प्यार में कसमेँ खाने से क्या फायदा ।
जब भी आएगा मौका दगा दोगे तुम ॥
तुमने दिल में हमारे क्यों घर कर लिया ?
जब हमीँ न रहेंगे ,कहाँ होगे तुम ? - उदय भान कनपुरिया
जब भी आएगा मौका दगा दोगे तुम ॥
तुमने दिल में हमारे क्यों घर कर लिया ?
जब हमीँ न रहेंगे ,कहाँ होगे तुम ? - उदय भान कनपुरिया
धोखा
एक हल्का सा ठुमका उधर से लगा ॥
हाय दिल भी गया और जाँ भी गई ॥
फैसला उनकी नजरे इनायत पे है ॥
शुक्र होगा जो शर्मो - हया बच गई ॥ - उदय भान कनपुरिया
हाय दिल भी गया और जाँ भी गई ॥
फैसला उनकी नजरे इनायत पे है ॥
शुक्र होगा जो शर्मो - हया बच गई ॥ - उदय भान कनपुरिया
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