मैं उदय भान 'कनपुरिया' आप सभी का इस ब्लाग पर स्वागत करता हूँ। मैं अपने पिता श्री जगदीश चंद्र गुप्त एवं माता श्रीमती लक्ष्मी गुप्ता के आशीर्वाद से कविताओं की रचना करता हूँ। आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएँगी।आप मुझे विषय भेजेँ(कमेंट्स लिखकर), मैं आपको उनपर कविता देने का प्रयास करूँगा ।
Wednesday, July 28, 2010
बाल कविता बादल मामा, वर्षा मौसी
आप सभी के साथ है रिश्ता, मुझको अच्छा लगता पिश्ता। मैँ बादल मामा पर बैठी , वर्षा मौसी तू क्योँ ऐँठी। रोज यहाँ पानी बरसाती, उत्तर भारत क्यों न जाती। मेरे नाना तुझे बुलाते, बेटी को नित फोन लगाते। उनकी भी तुम प्यास बुझा दो , नानी घर पानी बरसा दो। में पापा संग पेड़ लगाऊँ, भइया को भी यही सिखाऊँ। हरियाली है तुम्हें बुलाती, या तुम हरियाली को लाती? वर्षा मौसी मुझे भीगा दो, जोर से बरसो प्यास बुझा दो। मामा काले तुम हो गीली, मेरे घर की माटी पीली। सावन भादोँ जल्दी आना ,खेतों की तुम प्यास बुझाना। सबके मामा सबकी मौसी , बादल मामा वर्षा मौसी।
बादल मामा, वर्षा मौसी
आप सभी के साथ है रिश्ता, मुझको अच्छा लगता पिश्ता। मैँ बादल मामा पर बैठी , वर्षा मौसी तू क्योँ ऐँठी। रोज यहाँ पानी बरसाती, उत्तर भारत क्यों न जाती। मेरे नाना तुझे बुलाते, बेटी को नित फोन लगाते। उनकी भी तुम प्यास बुझा दो , नानी घर पानी बरसा दो।
Monday, July 5, 2010
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