Wednesday, October 13, 2010

माँ दुर्गा

मैंने दुर्गा जी को देखा । देखा उनका रूप महान ॥ बड़ी बड़ी आखेँ भी देखी । देखी चेहरे पर मुस्कान ॥ मुकुट स्वर्ण का शीश सुशोभित । हाथों में उनके त्रिशूल ॥ महिषासुर का वध कर डाला । शक करना बिलकुल निर्मूल ॥ दुर्गा हैं शक्ति की देवी । दुर्गा धन और धान्य स्वरूप ॥ दुर्गा हैं देवोँ की देवी । दुर्गा आनंदी फल रूप ॥ ॐ श्री दुर्गाय नम: ॥ ॐ ........... ॥ - उदय भान कनपुरिया

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